Thursday, April 29, 2010

कुत्ता / आदमी

ज़ुबाँ क्या पा ली आदमी ने
खुद को
बावज़ूद अपनी तमाम खामियों के 

इंसान का दर्ज़ा
दे डाला.

बे-ज़ुबाँ कुत्ता बेचारा
विरोध अपना दर्ज़ न करा पाया
औ'
बावज़ूद अपनी तमाम अच्छाइयों के
रह गया
एक अपशब्द-मात्र बनकर.

1 comment:

Midnight said...

There is an interesting play here between 'admi' and 'insan' - I like that!